जाति धर्म से परे प्रेम का धर्म निभाते हैं जाति धर्म से परे प्रेम का धर्म निभाते हैं
हर कदम पर अलग है ढंग हर कदम पर अलग है ढंग
होंठो पर सबके हँसी खिला दूँ, होंठो पर सबके हँसी खिला दूँ,
तुझे चाहा रब से ज़्यादा तुझे चाहा रब से ज़्यादा
वसुंधरा के चरणों पर समर्पित वसुंधरा के चरणों पर समर्पित
हम से सीखा जग योग और ज्ञान हम से सीखा जग योग और ज्ञान